हिंदी दिवस व, हिंदी साल का,
हम औपचारिकता, निभाते हैं ।
पर अपने, बिबी-बच्चों को,
अंग्रेजी मे, शोध कराते हैं ॥
अंग्रेजी बोलना-अंग्रेजी पढ़ना,
के हम नीति पर, चलते हैं ।
हेलो और हाऊ आर यु से,
हम अंग्रेजी मे, अभिनंदन करते हैं ॥
हिंदी बेचारी, घुट रही है आज,
अंग्रेजी के, अत्याचारों से ।
अपने ही देश मे, बिदेशी सी हो गई,
अंग्रेजी के, तीब्र कटारों से ॥
हिंदी मे बोलकर, वोट को लेते,
फिर मंत्री बन जाते हैं ।
अंग्रेजी मे, शपथ हैं लेते,
फिर हिंदी बोलने मे, वे शर्माते हैं ॥
अब हिंदी मे, पढ़ो-पढ़ावो,
जिसमें राष्ट्रियता का, अंकुर पनपता है ।
सिखना है तो, चीन व रशिया से सिखो,
जहां बच्चा-बच्चा, अपनी भाषा पे गुरुर करता है ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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22-12-1999,wednsday,5.10pm,
chandrapur,maharashtra.