Monday 21 November 2011

इतने दिन से तमन्ना कितनी थी मेरी


इस आज हम सब इकट्ठा हुए इस जगह
खुशी का कोई ठिकाना नही!
मै भी इनकी खुशी मे मदमस्त हू
चाहे सबको मेरा नागवारा सही!!

इतने दिन से तमन्ना कितनी थी मेरी,
मै भी पाने की कोशिश करता रहा!
पर मेरे भाग्य मे ऐसा कहा था बदा
जिन्दगी भर उसी पर मै मरता रहा!!
आज तक मैने सोचा जो वो पाया नही
यह मेरी बदनसीबी का बुरा खेल है!
मै चुन-चुन के झोपड़ को बनाता रहू
पहले झोपड़ तो बाद मे जेल है!!
आज मेरा मुकाद्दर मुझसे रूठा हुआ
कल जो हे मेरे आज बेगाने हुए!
मै इतने दिनो से उन्हे पहचाना नही
मै दिए उन्हे फ़ूल वो मुझे काटे दिए!!
मेरा किसी से कोई शिकायत नही
जानता था मै इक दिन ऐसा ही होगा!
मै किसी को कैसे दोष दू साथियो
मेरे आलस का शायद ये फ़ल मिला होगा!!
मैने अब तक किया सबका अच्छा मगर
मुझको अच्छाई के बदले बुराई मिला!
फ़िर भी मेरा ये दिल मानता है नही
किस तरह मै कहू बात का सिलसिला!!
इतने दिन से तमन्ना ...

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-२९/६/१९९१ ,शनिवार,रात्रि १०.२० बजे,
एन.टी.पी.सी.दादरी गाजियाबाद (उ.प्र.)

गजल(मेरे दिल मे कितनी चुभन सी है)


मैने कौन सा ऐसा भुल किया,जिसकी सजा मुझे मिलने लगी!
मेरे दिल मे कैसा घाव लगा,वो जख्म कभी पुरी न होगी!!

मेरे दिल मे कितनी चुभन सी है मै बया किस कदर से करू यारो!
मेरे आखो से आसू निकलते नही,मै डरा-डरा सा रहू यारो!!
मेरे दिल मे....
दिन रात मै सोचा करता हु,ये पाप कौन सा मैने किया!
किस बात का सबने बदला लिया,मुझे मौत के बदले घुटन दे दिया!!
मेरे दिल मे...
मै दिल को समझाने कि कोशिश करू,पर सफ़लता नही मिलता है मुझे!
मेरे अरमान अब सब खतम हो गए,अब चिड़ियो ने दानो को चुग लिया!!
मेरे दिल मे...
भुख लगती नही,प्यास मिटती नही और रातो का सोना हराम हो गया!
अच्छे जीवन का कोई ठिकाना नही,अब तो मरना और भी आसान हो गया!!
मेरे दिल मे...
मै चाहा जिसे उसका दुश्मन बना,हमको मिठा जहर सब पिलाते रहे!
मै समझ ना सका उनकी चाल को,अपनी बातो से वो सब लुभाते रहे!!
मेरे दिल मे...
अपनी तकदीर ने मुझको धोखा दिया,आज अपने से बेबस पड़ा हु यहा!
मै किसी से कुछ कह ना सकू,मै भटकता रहू, यहा से वहा!!
मेरे दिल मे...
अपना ईरादा तो यही एक है,किसी को अपने से न कोई तकलीफ़ हो!
किया हो बुरा तुम चाहे जैसे मेरा,तुम जहा भी रहो सुख से रहो!!
मेरे दिल मे...
मेरा जी चाहता है जाकर रूओं कही,पर रोने से भी अब क्या फ़ायदा!
मिलेगा मुझको अपने कर्मो का फ़ल,जो मेरी तकदीर मे होगा वदा!!
मेरे दिल मे कितनी चुभन सी है....

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-१०/७/१९९१ ,वुद्धवार,रात्रि ९.१५ बजे,
एन.टी.पी.सी. दादरी ,गजियाबाद (उ.प्र.)

भजन(भगवान जी का)



मेरी नइया पड़ी मझधार मे, प्रभु आके मुझे उबारो!
इक संकट खड़ा हैसामने,प्रभु आके मुझे उबारो!!
मेरी नइया....
ये मेरी कश्ती डूब रही है आके दे दो सहारा!
हे मन मोहन श्याम सलोने आके दे दो किनारा!!
तीन जने मिल डुबा रहे है ,मै हू अकेला आज!
इन तिनो को दूर भगाकर, कर दो मेरे काज!!
सुंदर श्याम सलोना गिरिधर मोहन मदन मुरारी!
तेरे नाम अनेको है प्रभु सगुन-अगुन-निरंकारी!!
तेरा सहारा केवल भगवन कोई नही है मेरा!
आके मेरी लाज बचालो कहा किए हो बसेरा!
ये जग सारा झुठा भगवन,जैसे कोई मेला!
चार दिनो की जींदगानी मे सब करते है खेला!!
जब संकट मे पड़ते है प्रभु तब-तब तुम्हे पुकारे!
तुम ओ कितने दीन-दयालु सब के संकट काटे!!
जो जिस भाव से लेते है प्रभु तेरा कोई नाम!
उसी रुप मे सबके प्रभु आके करते काम!!
मेरे को सब ताने कसते,हसते है मुझ पर!
मेरा अपना कोई नही है एक सहारा तुझ पर!!
अब मै हार गया हु सबसे कोई नही है आश!
मुझको पुरी आशा है प्रभु तुम आवोगे मेरे पास!!
मेरी नइया पड़ी मझधार मे प्रभु आके हमे उबारो!
इक संकट खड़ा है सामने प्रभु आके हमे उबारो....

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-६/७/१९९१ ,शनिवार,रात्रि १०.१५ बजे,
एन.टी.पी.सी. ,दादरी ,गाजियाबाद (उ.प्र.)




मैने तुमसे प्यार किया है ये कोई धोखा नही!


मैने तुमसे प्यार किया है ये कोई धोखा नही!
मेरी जिन्दगी मे बस तुम ही तुम हो बस रोने का मौका नही!!
मेरी लाडली तुम रोती क्यु हो ,हरदम हसती रहो!
तुम अपना दिल छोटा न करना पल-पल खिलती रहो!!
हमने तुमको पाने के लिए क्या-क्या-जुगत न किया!
मैने तेरी चाहत के बदले सब कुछ लुटा दिया!!
ये मेरा तुमसे वादा है मैडम,मै सिर्फ़ तुम्हारा रहुंगा!
तेरे लिए मेरी नूरजहा सब कुछ सहा करुंगा!!
ये मेरी ख्वाहिश है जीन्दगी मे ,तु ना कभी हो उदास!
मेरी जा मेरे मरने के पहले ,तुम ना छोड़ो स्वाश!!
तु ना कभी मुझे छोड़ के जाना,हरदम मेरे साथ रहो!
जैसे मै चाहू मेरी जा तुम सब करती रहो!!
आज मेरा दिल कितना खुश है तुझको पता नही!
सारा जमाना है आज अपना,सब कुछ मानो सही!!
पर तेरे आसु को देखकर मै कितना दुखी हो रहा!
मै तेरी खुशी पर जान लुटा दू ला दू मै सारा जहा!!
वो मेरी शबनम-वो मेरी मोती कैसे भी तुम हस दो!
अब ना रुलावो मुझको भी जानम, तुम आस पुरी कर दो!!
मेरे कितने सपने है यारा,वो पुरी क्या ना करोगी!
तेरे जाने से ऐ मेरी बेगम,ये जिन्दगी अब ना होगी!!
सब कुछ मैने बता दिया हैतुमसे,कुछ भी छिपाया नही!
अच्छा-बुरा तुम खुद सोच लो,जो कुछ मानो सही!!
मैने तुमसे प्यार किया है,ये कोई धोखा नही!
मेरी जीन्दगी मे बस तुम ही तुम हो,रोने का मौका नही....

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-५/७/१९९१ ,शुक्रवार,शाम ६.४५ बजे,
एन.टी.पी.सी.दादरी ,गाजियाबाद (उ.प्र.)

भजन(हे अम्बे-जगदम्बे तू रुठी कहा)

तु ही भक्ती,तू ही शक्ती,कण-कण मे तेरा निवास है !
मेरे मनोरथ पूरे कर दो,तु ही सबकी आश है !!

हे अम्बे-जगदम्बे तू रुठी कहां
तेरे द्वारे है सब कोई कब से खड़े !
हम  तेरे शरण मे है आए हुए
हम तेरे राह मे है कबसे पड़े !!
हे अम्बे...

मै तुम्हारी आराधना कर ना सकूं
म्रेरी मइया जी हम बालक अग्यानी है !
तुम जगत कि जगज्जननि हो मां अम्बे मेरी
हम कपटी-कुटिल और अभिमानी है !!
हे अम्बे...

मेरे अग्यान-अभिमान-आवेश को
दूर कर दो मेरे मन से इनको अभी !
हम तुम्हारी दया दृष्टि को चाहते
मइया तेरे सहारे है जीते सभी !!
हे अम्बे...

तुम रामा-रमा और शिवराम हो
तेरा सर्वत्र कण-कण मे वास है !
मातु जगज्जननी तुम ही कॄपा धाम हो
तिनों लोकों मे तू ही सबकी स्वाश है !!
हे अम्बे...

हे मां तुझको पुकारे कोई जहां
तुम दौड़ी चली आती हो उस जगह !
हे मा मै भी हू संकट मे कैसे घिरा
तुम रक्षा करो मा मेरी इस जगह  !!
हे अम्बे...

कितनी शर्मिली-भोली-सिधी-सादी हो
हसती रहती हो दिन-रात थकती नही !
सब पर इतनी कॄपा करती रहती हो तुम
चाहे कोई तेरा करे भक्ती नही !!
हे अम्बे...

हम तेरे चरण-रज को पाना चाहते
इक छोटी सी ये लालसा है मेरी !
जीवन के अन्तिम दिन मे भी
आखों के सामने हो मूरत तेरी !!
हे अम्बे....

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-//१९९१,बॄहस्पतिवार,
एन.टी.पी.सी.दादरी,गाजियाबाद (.प्र.)