Monday 21 November 2011

गजल(मेरे दिल मे कितनी चुभन सी है)


मैने कौन सा ऐसा भुल किया,जिसकी सजा मुझे मिलने लगी!
मेरे दिल मे कैसा घाव लगा,वो जख्म कभी पुरी न होगी!!

मेरे दिल मे कितनी चुभन सी है मै बया किस कदर से करू यारो!
मेरे आखो से आसू निकलते नही,मै डरा-डरा सा रहू यारो!!
मेरे दिल मे....
दिन रात मै सोचा करता हु,ये पाप कौन सा मैने किया!
किस बात का सबने बदला लिया,मुझे मौत के बदले घुटन दे दिया!!
मेरे दिल मे...
मै दिल को समझाने कि कोशिश करू,पर सफ़लता नही मिलता है मुझे!
मेरे अरमान अब सब खतम हो गए,अब चिड़ियो ने दानो को चुग लिया!!
मेरे दिल मे...
भुख लगती नही,प्यास मिटती नही और रातो का सोना हराम हो गया!
अच्छे जीवन का कोई ठिकाना नही,अब तो मरना और भी आसान हो गया!!
मेरे दिल मे...
मै चाहा जिसे उसका दुश्मन बना,हमको मिठा जहर सब पिलाते रहे!
मै समझ ना सका उनकी चाल को,अपनी बातो से वो सब लुभाते रहे!!
मेरे दिल मे...
अपनी तकदीर ने मुझको धोखा दिया,आज अपने से बेबस पड़ा हु यहा!
मै किसी से कुछ कह ना सकू,मै भटकता रहू, यहा से वहा!!
मेरे दिल मे...
अपना ईरादा तो यही एक है,किसी को अपने से न कोई तकलीफ़ हो!
किया हो बुरा तुम चाहे जैसे मेरा,तुम जहा भी रहो सुख से रहो!!
मेरे दिल मे...
मेरा जी चाहता है जाकर रूओं कही,पर रोने से भी अब क्या फ़ायदा!
मिलेगा मुझको अपने कर्मो का फ़ल,जो मेरी तकदीर मे होगा वदा!!
मेरे दिल मे कितनी चुभन सी है....

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक-१०/७/१९९१ ,वुद्धवार,रात्रि ९.१५ बजे,
एन.टी.पी.सी. दादरी ,गजियाबाद (उ.प्र.)

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