Tuesday 1 October 2013

जय जवान-जय किसान

इस जहां से न्यारे हो,
तुम हम सबके दुलारे हो
हे लाल बहादुर जी,
तुम जग से निराले हो

सीधा-सादा जीवन,
विचार तो ऊंचे थे
अपने तो लहू से तुम,
भारत को सीचे थे

तुम शांत-चित्त, मृदुभाषी,
सत्य के पुजारी थे
त्याग भरा जीवन,
और बहुत ब्यवहारी थे

जय जवान-जय किसान, का,
प्यारा नारा दिया
भारत के दिल को तुमने,
इससे खुशहाल किया

हे लाल बहादुर शास्त्री जी,
तुम्हे कोटि-कोटि है नमन
हे भारत मां के लाल,
हम सब का है वन्दन
हे भारत मां के लाल,
हम सब का है वन्दन......

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.in
02-10-2013,wednesday,12.15 pm,(763),

pune,maharashtra.

महात्मा गांधी जी के पुकार से

आवाज निकलने की देरी थी,
कोटि-कोटि जन आते थे
महात्मा गांधी जी के पुकार से,
सब भारत माँ पे मर-मिट जाते थे

कहीं तीर नहीं,तलवार नही,
कहीं नहीं गोलियां चलती थी
अंग्रेजों के कानों में,
बस जय हिंद सुनाई पड़ती थी

देश की आजादी के लिये,
उनमें जज्बा अजब निराला था
भारत का बच्चा-बच्चा,
आजादी का मतवाला था

सादा जीवन,उच्च विचार,
बापू जी के आदर्श थे
सत्य,अहिंशा,भाई-चारा, उनका,
सभी के लियी परामर्श थे

हम सबकी आजादी में,
उन लाखों-लाखों की कुर्बानी थी
पर आजादी की लड़ाई में,प्रमुख भुमिका,
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की थी

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com

30-09-2013,monday,11:30am(762),

pune,maharashtra