आंखों मे आंसू, आ जाता !
दर्द दिलों में, होता है,
और उजाले पर, अंधेरा छा जाता !!
कुर्सी पाने की, होड़ मे देखो,
नित जूतम-लातम होते हैं !
जातियता का, ज़हर घोलकर,
ए बहुत चैन की, नींद में सोते हैं !!
देश पर ध्यान, है कम इनका,
सदा वोटों के, गणित में उलझे रहते !
अपराध व, घोटाले करते जाते,
और निर्दोष होकर, ए छूटते रहते !!
एक आम आदमी के, गलती करने पर,
उसे हर तरह की, सजांए दी जाती !
पर इनको देश, लूटने पर ,आदर से,
विरोधी दलों मे, पनाह है मिल जाती !!
राजनीति के, ऐसे कुछ नेता,
जो देश का, खून पी रहे हैं !
लोगों मे, दहशत फ़ैलाकर,
वे खूब मजे से, जी रहे हैं !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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दिनांक-०९/०२/२००० , वुद्धवार, शाम ५ बजे