Sunday 27 October 2013

आज जमाना भाग रहा है

आज जमाना भाग रहा है,कोई आके इसे रोको
तेजी से बदलती दुनिया को, भाग-भाग कर देखो

जहां जाओगे,वहीं पावोगे,नित नये  फैशन वाले
सब कोई अपने धुन मे मस्त हैं, कोई सुनने वाले

सब कोई करते जोर-शोर से,फिल्मों की ही चर्चा
नही किसी का ख्याल किसी को,चाहे हो इनका पर्चा

बेटी बनना चाहे हिरोइन,बेटा चाहे हीरो
कैसे हम फिल्मों में पहुंचे, बाप चाहे हो जीरो

सबको चाहिये अपने घरों मे,कम्प्युटर और टी .वी
ये सब चीज हो घर मे जब तक,रूठी रहती है बिबी

जय राम,श्रीराम,प्रणाम नमस्ते,ये सब हो गए पुराने
गूड मार्निंग,हेलो,टाटा,सब ओके के दिवाने

थक जाने पर कहते सबको,यार ठीक नही है मूड
शोर्ट कट मे रिप्लाई देते,यस,नो,वेरी गूड

पैदल चलने है अपमान,चाहिये इन्हें बाइक कार
सुंदर सजीला बंग्ला हो, टेलीफोन नौकर चार

नये-नये पोषाक पहनते,पैंट सिलवाते बैगी
माम कहते मा को अपने,और बाप को कहते डैडी

धन्यवाद उसका है यारों,ढिले-ढाले कपड़ों का
एक कपड़ा सभी पहनते,बाप का या हो बेटों का

अब आम तौर की भाषा मे, इंग्लिश बोले जाते
हेलो और हाउ आर यु से, मुंह को खोले जाते

एक दुसरे मे होड़ लगी है,बाहर की दुनिया मे आने को
बहुतों की ईच्छा गांव छोड़कर,शहर मे है जाने को

मैं भी इन्हीं रंग मे मस्त हुं,और चाहता रंगने को
कोई मुझे भी युक्ति बता दे,इस दुनिया मे जमने को

आज जमाना भाग रहा है,कोई आके इसे रोको 
तेजी से बदलती दुनिया कोभाग-भाग कर देखो 
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.in
14-03-1991,monday,2:50pm,(65),

ntpc,dadari,gaziabad (u.p).