आज जमाना भाग रहा है,कोई आके इसे रोको ।
तेजी से बदलती दुनिया को, भाग-भाग कर देखो ॥
जहां जाओगे,वहीं पावोगे,नित नये फैशन वाले ।
सब कोई अपने धुन मे मस्त हैं, न कोई सुनने वाले ॥
सब कोई करते जोर-शोर से,फिल्मों की ही चर्चा ।
नही किसी का ख्याल किसी को,चाहे हो इनका पर्चा ॥
बेटी बनना चाहे हिरोइन,बेटा चाहे हीरो ।
कैसे हम फिल्मों में पहुंचे, बाप चाहे हो जीरो ॥
सबको चाहिये अपने घरों मे,कम्प्युटर और टी .वी ।
ये सब चीज न हो घर मे जब तक,रूठी रहती है बिबी ॥
जय राम,श्रीराम,प्रणाम नमस्ते,ये सब हो गए पुराने ।
गूड मार्निंग,हेलो,टाटा,सब ओके के दिवाने ॥
थक जाने पर कहते सबको,यार ठीक नही है मूड ।
शोर्ट कट मे रिप्लाई देते,यस,नो,वेरी गूड ॥
पैदल चलने है अपमान,चाहिये इन्हें बाइक व कार ।
सुंदर सजीला बंग्ला हो, व टेलीफोन व नौकर चार ॥
नये-नये पोषाक पहनते,पैंट सिलवाते बैगी ।
माम कहते मा को अपने,और बाप को कहते डैडी ॥
धन्यवाद उसका है यारों,ढिले-ढाले कपड़ों का ।
एक कपड़ा सभी पहनते,बाप का या हो बेटों का ॥
अब आम तौर की भाषा मे, इंग्लिश बोले जाते ।
हेलो और हाउ आर यु से, मुंह को खोले जाते ॥
एक दुसरे मे होड़ लगी है,बाहर की दुनिया मे आने को ।
बहुतों की ईच्छा गांव छोड़कर,शहर मे है जाने को ॥
मैं भी इन्हीं रंग मे मस्त हुं,और चाहता रंगने को ।
कोई मुझे भी युक्ति बता दे,इस दुनिया मे जमने को ॥
आज जमाना भाग रहा है,कोई आके इसे रोको ।
तेजी से बदलती दुनिया को, भाग-भाग कर देखो ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.in
14-03-1991,monday,2:50pm,(65),
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