Thursday 13 February 2014

गुरूदेव और सुखदेव, भगत सिंह

हर खुशी भुलाकरके मित्रों,
आओ हम याद उन्हें भी कर लें
उन भारत माता के वीर सपूतों को,
दिल से नमन हम कर लें

आज जो हम आजाद हुए हैं,
उन सबके एहसान बड़े हैं
जो भारत माँ की आजादी के लिये,
हसते-हसते शूली पे चढ़े थे

जब-जब याद है उनकी आए,
तब-तब आखों मे नीर भर आता है
देश प्रेम हो हम सब में,
बात हमे सिखलाता है

इन्हीं महान क्रांतिकारियों में वे तीन,
जो अपना अमिट छाप हैं छोड़ गये
गुरूदेव और सुखदेव, भगत सिंह,
जो गुलामी के बंधन को तोड़ गये

मित्रों हम कितना भी तरक्की करते जायें,
पर हमें उन शहीदों को कभी नहीं भुलाना है
उन भारत माँ के सपूतों के सपनों को,
हमें सच करके तो दिखाना है
उन भारत माँ के सपूतों के सपनों को,
हमें सच करके तो दिखाना है.....

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
14-02-2014,Friday,11:50am,(855)

Pune,M.H,

वेलेन्टाइन डे की कहानी

दिन,महिना,साल भूल के,
अब मंथ,ईयर डे हैं कहाये जाते
साल के तीन सौ पैंसठ दिन में,
कुछ कुछ डे तो मनाये जाते

इन्हीं डे में वेलेन्टाइन डे,
जो प्रेमी जोडे़ हैं मनाया करते
इस दिन सब कुछ भुल-भाल के,
बस प्यार का पाठ पढ़ाया करते

जिस किसी को प्यार किसी से,
वो इजहार प्यार का किया करते
इक-दूजे को भेंट मे कुछ तो,
प्यार का उपहार दिया करते

वेलेंटाइन डे की भी कहानी मित्रों,
अपनी जुबा से सुनाता हूं
सेंट वेलेंटाइन डे का किस्सा,
जो सुना है मै दुहराता हूं

रोम देश मे एक इसाई,
जिसका नाम सेंट वेलेन्टाइन था
वहां की राजा की बेटी से,
भरपूर प्यार भी उसको था

बिना शादी के लड़का-लड़की,
सारे रिश्ते कर सकते हैं
पति-पत्नी नही तो क्या,
वे प्रेमी जोड़े बन कर रह सकते हैं

ये बात उसने राजा से,
बड़ी निडरता से कह डाला
लाल रंग के दिल को उसने,
राजकुमारी की झोली मे डाला

उसकी गुस्ताखी देख के राजा,
उसे फासी की सजा है सुनवाया
चौदह फरवरी के दिन ही उसको,
सजाए मौत है दिलवाया

इसी दिन को याद करके प्रेमी,
अपने प्यार को खुब रिझाते हैं
प्यार-मुहब्बत करके वे,
वेलेन्टाइन डे को मनाते हैं

पर पश्चिमी सभ्यता का अंधाधुंध अनुकरण मित्रों,
बर्तमान मे लग रहा होगा अच्छा
पर इसका दुष्परिणाम भयंकर होगा,
ये बात भी मित्रों है सच्चा
 पर इसका दुष्परिणाम भयंकर होगा,
ये बात भी मित्रों है सच्चा ........

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
13-02-2014.Thursday,03:40pm,(854)

Pune,M.H.