Sunday 1 September 2013

पर गंगा नदी महान है

दुनिया मे नदी अनेको हैं,
पर गंगा नदी महान है
ये पतित -पावनी है देवी,
जो हम सब की जीवन दान है

शिव जी की ये जटा से निकली,
इसकी हर-हर ध्वनि करती लहरें
अमृत जैसा है इसका जल,
जो प्राणियों के सभी पापों को हरे

धन्य है हमारी भारत भुमि,
जहां गंगा माँ प्रगट हुई
हम सब भी तो धन्य-धन्य हैं,
जो ये यहां पे तटस्थ हुई


गंगा जल की महिमा का,
हम कर सकते हैं बखान नही
जन्म से लेकर मृत्यु तक,
इसका करते हैं रस-पान सभी

आज हो रहे इस पर अत्याचारों से,
ये मन मे बहुत रो रही है
अपने बहते आसुवों से,
हमारे पापों को धो रही है .......

मोहन श्रीवास्तव (कवि )
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
06-07-2013,saturday,7.45 pm,
pune,maharashtra.



देवी मां स्तुति(हे मा मेरी करुणा मई)

हे मा मेरी करुणा मई,आशिष पाना चाहते !
हम दीन-हीन गरीब हैं,चरणों मे आना चाहते !!
हे मा मेरी.............

तुम हो जगत की मातु मा,हम बाल सब तुम्हारे हैं !
रखवाली करती हो मातु तुम,हम भक्त तेरे प्यारे हैं !!
हे मा मेरी...............

कोई नही अपना है मा,सिर्फ़ तुझ पर आश है !
तेरी दया की दृष्टि पर ,अपना तो मा विश्वाश है !!
हे मा मेरी..................

जो पास मे है मा मेरे,सब कुछ तुम्हारा ही तो है !
तू एक है,तेरे रूप अनेक,तू कई नामों से विख्यात है !!
हे मा मेरी.......................

तेरा ध्यान तो आता नही,मोहन तो मा अन्जान है !
अपराध को कर दो छमा,हम बाल सब नादान हैं !!

हे मा मेरी करुणा मई,आशिष पाना चाहते !
हम दीन-हीन गरीब हैं, चरणों मे आना चाहते !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com

२८//१९९९,चन्द्रपुर महा.