तुम्ही मेरे मालिक हो प्रियवर,
सखा , मित्र सब तुम ही हो ।
मेरे प्राणनाथ परमेश्वर तुम,
मेरे पूरण काम तुम ही हो ॥
सडकें बनवा देंगे, घरों तक हम,
नालियां शीघ्र खुदवायेंगे ।
बिजली-पानी का उचित प्रबन्ध,
हम भुमि को उपजाऊ बनायेंगे ॥
रोजगार मुहैया सब को होंगे,
जन-जन मे शिक्षा का जगरण होगा ।
भ्रष्टाचार मिटायेंगे हम,
और सब को आने जाने का साधन होगा ॥
रहने के लिये सब को घर होंगे,
मंहगाई से हम तुम्हे उबारेंगे ।
इस बार यदि जीत गये तो,
हम तुम्हे खुशियों से नहलायेंगे ॥
ऐसे उद्गार हमारे नेताओं के,
अब गली-गली मे गूजेंगे ।
मिठी बोली बोल के वो,
हमारे वोटों को लूटेंगे ॥
मिठी बोली बोल के वो,
हमारे वोटों को लूटेंगे ॥
कवि मोहन श्रीवास्तव
http://kavyapushpanjali.blogspot.com/2013/07/blog-post_16.html
13-08-1999,friday,8.30pm,
chandrapur,maharashtra.