Sunday 4 December 2011

गजल(दो दिल बिछुड़ रहे है नही चाहते हुए)

दो दिल बिछुड़ रहे है,नही चाहते हुए !
फ़रियाद कर रहे है फ़िर मिलने के लिये !!
दो दिल...........

दिपक के ये उजाले ,अंधेरे लग रहे हैं !
मिलने की आश मे हम,दिन-रात जग रहे हैं !!
दो दिल...............

सपने सुहाने अपने, कैसे बिखर रहे हैं !
बारिस की ऐसी बुंदे,शोले बरस रहे हैं !!
दो दिल..............

उनको बताए कैसे, मजबुरी का ये आलम !
रातें जुदाई की ये, होती नही है कम !!
दो दिल..............

आहट सी होती है,लगता वो आ रहे हैं !
दिल की ये धड़कन, मेरी बढ़ते ही जा रहे हैं !!
दो दिल .............

ईन्सान की तरह ही, ये रातें भी बेवफ़ा हैं !
मायुशी के ये बादल,अब भी मुझसे खफ़ा हैं !!
दो दिल.............

ये वक्त है या धागा,जो कि लम्बा ही खिंच रहा है !
फ़ुलों को जैसे माली,तेजाब से सिच रहा है !!
दो दिल.............

आखों की नींद मेरे ,बड़ी दूर हो गई है !
सपनों का सौदा करने, कही वो चली गई है !!
दो दिल............

मोहन की आरज़ू है ,जल्दी से वो मिले !
बाहों मे मुझको भरके,लग जाए वो गले !!

दो दिल बिछुड़ रहे है,नही चाहते हुए !
फ़रियाद कर रहे है फ़िर मिलने के लिये !!



मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
//१९९६,शनिवार,रात्रि,१२.१० बजे,

चन्द्रपुर(माहाराष्ट्र).



देवी मा स्तुति(हे अम्बे मा,भवानी मा)

हे अम्बे मा भवानी मा कॄपा तो किजीये!
हम दास है तुम्हारे मा चरणों मे लिजिए!!
हे अम्बे मा...................

हम है विपद मे आज मा, हमको उबारिए,
मेरी नाव है मझधार मे उसको निकालिए!!
हे अम्बे................

तुम हो जगत की जननी, हमे अमॄत पिलाइये,
हमको दरश दो अपनी, हमे ना रुलाइए!!
हे अम्बे मा...............

जो श्रद्धा से तुम्हारा मा, सुमिरन किया करे
उन भक्तों को हॄदय मे, अपने धरा करे
हे अम्बे मा...............

तुम हो मा कालिके,श्री राम राधिके
कमला पति ,शिव- विष्णु हो,तुम ही हो अम्बिके
हे अम्बे मा................

तु सिंह पे सवार होके, मातु आइये
मेरी लाज जा रही है,मेरी ईज्जत बचाइये
हे अम्बे..............

मोहन की प्रार्थना है मा, वह जहां कही रहे
दिन रात अपनी मइया कें, ध्यान मे रहे
हे अम्बे मा...................

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
१०//१९९५, रविवार,शाम .३० बजे,
चन्द्रपुर(महाराष्ट्र)