हम दास है तुम्हारे मा चरणों मे लिजिए!!
हे अम्बे मा...................
हम है विपद मे आज मा, हमको उबारिए,
मेरी नाव है मझधार मे उसको निकालिए!!
हे अम्बे................
तुम हो जगत की जननी, हमे अमॄत पिलाइये,
हमको दरश दो अपनी, हमे ना रुलाइए!!
हे अम्बे मा...............
जो श्रद्धा से तुम्हारा मा, सुमिरन किया करे
उन भक्तों को हॄदय मे, अपने धरा करे
हे अम्बे मा...............
तुम हो मा कालिके,श्री राम राधिके
कमला पति ,शिव- विष्णु हो,तुम ही हो अम्बिके
हे अम्बे मा................
तु सिंह पे सवार होके, मातु आइये
मेरी लाज जा रही है,मेरी ईज्जत बचाइये
हे अम्बे..............
मोहन की प्रार्थना है मा, वह जहां कही रहे
दिन रात अपनी मइया कें, ध्यान मे रहे
हे अम्बे मा...................
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
१०/९/१९९५, रविवार,शाम ७.३० बजे,
चन्द्रपुर(महाराष्ट्र)
No comments:
Post a Comment