अपने भोले को कैसे मनाए,आज हमसे वो रुठे हुए हैं !
अपनी विपदा को कैसे सुनाए,आज हमसे वो रुठे हुए हैं !!
अपने भोले..................
कटि मे बाघम्बर पहने हुए वो,तन भभुती रमाए हुए हैं !
मुख से राम का नाम रट वो रहे हैं,सर मे गंगा समाए हुए हैं !!
अपने भोले को...............
नाग माला गले मे लपेटे,डम-डम डमरू बजा वो रहे हैं !
कर मे त्रिशूल लेकर के बाबा,नन्दी पे वो सवार हुए हैं !!
अपने भोले.....................
संग मे माता गौरी को लिए वो,काशी ,कैलाष को जा रहे हैं !
राह मे सब दरश को खड़े है,डमरु वाले जी मुस्करा रहे हैं !!
अपने भोले.......................
उनकी लीला अनोखी निराली,उससे सबको वे भरमा रहे हैं !
सर झुकाए चले जा रहे वो,देखो जैसे वो शरमा रहे हैं !!
अपने भोले को.....................
उसको कहते सब पगला अनाड़ी,पर सारे जग के हैं वो रखवाले !
विनती मोहन की सुन वो रहे है,डम-डम-डमरू बजाने वाले !!
अपने भोले को कैसे मनाए..................
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
२७/१२/१९९४ ,बॄहस्पतिवार, सुबह ८.३० बजे,
जोगापुर ,भदोही (उ.प्र)
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