लिखने की आदत नही है मुझे,क्या लिखूं हमे कुछ आता है नही !
वो मेरे सनम मेरा दिल है ये खत,तुम इसे ही मेरा दिल मानो सही !!
मै आज तुमको पिया खत लिख रही कैसे !
मेरा दिल है मगन आज फ़ूल से जैसे !!
शुरू मे क्या तुम्हे लिखूं,समझ नही आता !
मेरे प्राण पति-प्राणनाथ-, भाग्याता !!
आपके यादों के पहलू मे, मै जीती रहती !
अपने दिल की ये कसक ,को मै सहती रहती !!
सजन गए हो यहा से, नही लगता है दिल !
तुम्हारे बिन यहा जीना, बहुत है मुश्किल !!
सावन की ये बदली,मुझे आग लग रही है !
और कैसे क्या लिखूं,मुझे लाज लग रही है !!
मेरे आंसू बह रहे है पिया, खत को लिखते-लिखते !
मै जी नही हुं सकती, पिया तेरे बगैर रह के !!
जब से पिया गये हो, खत भी नही लिखे !
जब-जब तुम्हारी याद की,तब तब मुझे दिखे !!
मेरे भोले -भाले साजन ,तेरी बात याद आये !
मेरा भाग्य कितना है अच्छा,जो पिया तुम्हे हम पाये !!
नहि भुख-प्यास लगती,नही नीद आती हमको !
दिन रात रो-रो करके, मै याद करती तुमको !!
मै ईंतजारी करती,तुम शिघ्रता से आवो !
वो मेरे प्यारे दिलवर,मेरे बहार आवो !!
तुम अपना ख्याल रखना, पिया दुर देश रह के !
मेरा सिन्दूर रहे सलामत,हजार धूप सह के !!
खत मे थोड़ी जगह है, लिखने की और चाहत !
स्याही भी खत्म होने को, देती है जैसे आहट !!
आखिर मे दुआ है मेरी,तुम खुश होके रहना !
मेरे दिल के पत्र का तुम, जल्दी जवाब देना !!
तेरी दिल बहार-दिल कश खुशुबू,-तेरी यादों मे रहने वाली !
तेरी प्राण प्रिया अर्धांगिनी है,इस पुरे खत को लिखने वाली !!
मै आज तुमको पिया खत को लिख रही....
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-२१/७/१९९१,रविवार,दोपहर ,३.०५ बजे,
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