आ जा रे नींदिया-आ जा रे नींदिया
मुन्ने को मेरे सुला जा रे नींदिया
आ जा रे नींदिया...........
मुन्ना है मेरे आखों का तारा
दुनिया मे चमके ये जैसे सितारा
मेरा ये प्यारा जैसे माथे की बिंदिया
आ जा रे नींदिया........
सुरज के जैसे ये करे नाम रोशन
सब का दुलारा बने, कोई ना दुश्मन
मुन्ने को मेरे नजर ना लगे
आ जा रे ......
मेरा मुन्ना बड़ा हो करके
नाम कमाएगा जी भर के
यशोदा मै इसकी,ये मेरा कन्हैया
आ जा रे नींदिया.....................
आज मेरा मुन्ना बहुत ही थका है
इतनी रात हो गई अभी भी जगा है
दिन भर कहे हमे मइया-मइया
आ जा रे नींदिया.....
मुन्ना है मेरा शेर के जैसा
डरता नही चाहे कोई कैसा
मेरा बहलता है इससे जिया
आ जा रे नींदिया................
लोरी मै गा के इसको सुलाऊं
दूध-भात हाथों से अपने खिलाऊं
आ जा रे नींदिया..........
लगता है इसे नींद आने लगी
अपनी कॄपा बरसाने लगी
नींदिया है इसकी अब मइया
आ जा रे नींदिया,आ जा रे नींदिया
मुन्ने को मेरे सुला जा रे नींदिया
आ जारे नींदिया.........
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१/८/१९९१ ,बॄहस्पतिवार,रात्रि ९.२५ बजे,
एन.टी.पी.सी.दादरी ,गाजियाबाद (उ.प्र.)
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