हम भारत के हैं धीर वीर ,
पिछे मुड़ना नहीं आता है ।
मित्रता हमारा मूल मंत्र,
लड़ना भिड़ना नहीं भाता है ॥१।।
हम राम कृष्ण वंशज धनुधर,
हम चक्र सुदर्शन धारी हैं।।
हम एक अकेले रिपुओं के,
झुण्डों पर पड़ते भारी हैं।।२।।
यदि हमें चुनौती दे कोई,
हम उसको धूल चटाते हैं।
दुष्ट आचरण वालों का हम,
पल भर में मान घटाते हैं।।३।।
कोई यदि प्रेम से मांगे तो,
हम कर्ण सरीखे दानी हैं।
ललकारे यदि कोई बैरी,
तब हम उतारते पानी हैं।।४।।
प्यार से मांगे, जाने पर हम,
हर चीज निछावर कर देते ।
दान-वीर हम कर्ण के वंशज,
भिक्षुवों की झोली, भर देते ॥५।।
हम मानवता पोषक प्रहरी,
हम पाप कर्म से डरते हैं।
अपनी क्षमता से बढ़कर हम,
सत्कार अतिथि का करते हैं।।६।।
"सत्यमेव जयते" के पथ पर,
हम युग युग से चलते आए हैं ।
हम भौम सोम के तल पर भी,
भारत का ध्वज लहराए हैं।।७।।
सुधार दिनांक - २०.०२.२०२४
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blog.spot.com
25-12-1999,saturday,10:10am,
chandrapur.maharashtra.
No comments:
Post a Comment