भगवान ने दुनिया को, कैसा बनाया है ।
हर चीज जरुरत की, यहां पर तो बसाया ॥
रहने के लिये ये जमीन,खाने के लिये भोजन ।
पीने के लिये पानी, हर चीज बनाया है ॥
हर तरह के लोग यहां, अनगिनत जीव जो हैं ।
ये रंग-बिरंगा जीवन, पर दिल एक बनाया है ॥
सागर,नदियां,पर्वत, ये बहते हुए झरनें ।
ये हरे-भरे जंगल, जो मन को लुभाया है ॥
दिन-रात,सुबह और शाम, दुःख-सुख,रोना-हंसना ।
फूल और काटों में, हमे जीना सिखाया है ॥
दिल भरता नही किसी का, हर कोई चाह लिये ।
ये जन्म-मृत्यु के चक्कर मे, सबको उलझाया है ॥
भगवान ने दुनिया को, कैसा बनाया है ।
हर चीज जरुरत की, यहां पर तो बसाया ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
17-07-2013,wednesday,1:30pm,
pune,maharashtra.
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