Monday 19 February 2024

भ्रष्ट्राचार का बदबू फैला

भ्रष्ट्राचार का, बदबू फैला,
हर शहर व, हर बाजारों में ।
गांव भी अछुते, नही हैं इसमे,
दफ्तर या हो, सरकारों मे ॥

भ्रष्टाचार की, बगिया देखो,
कितनी तेजी से, बढ़ रहा है ।
नए-नए तरिके, ढूढ़-ढूढ़ कर,
सिढ़ी दर सिढ़ी, चढ़ रहा है ॥

अब बेटी की शादी, करने के पहले,
लड़के की पदवी, नही देखी जाती ।
अच्छा इनकम, करता हो बस,
उसकी तश्वीर, नही देखी जाती ॥

भ्रष्टाचार का अंकुर, पनपने लगा है,
अब स्कूलों व, कालेजों मे ।
जहां प्रवेश, कराने से पहले,
दी जाती है रिश्वत, डोनेशन मे ॥

सरकारी नौकरियों मे, बात ही क्या,
जहां लाखों मे, बातें होती हैं ।
पैसे वालों को, नौकरी मिल जाती,
पर निर्धनों की, आत्माएं रोती हैं ॥

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
24-12-1999,friday,4.40pm,
chandrapur,maharashtra.

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