हर एक अंग, अनमोल हैं तन के,
पर आंखे तो, जीवन दान हैं ।
ये दिखाती, हमारा जीवन,
ये शरीर की शान हैं ॥
आखों-आखों में, प्यार भी होता,
और आखों से, तकरार भी ।
आखों से कभी, आ जाता है नशा,
और आखें करती, बीमार भी ॥
आखों से देखते हम, दुनिया को,
सुरज,चाँद,सितारे ।
आखों से ही, देखा करते,
दुःख,सुख की, ये बहारें ॥
निली,लाल,गुलाबी आखें,
जो मन को, बहुत लुभाए ।
सुंदर,मासूम,व, कजरारी आखें,
वो सब को है ललचाए ॥
सौ बातों की, एक बात,
आखें है हमारे, जीवन साथी ।
आखें ही हमारे, जीवन में,
खुशियां और, उजाला लाती ॥
आखें ही हमारे जीवन में,
खुशियां और, उजाला लाती.....
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
23-07-2013,tuesday,10pm,
pune,maharashtra.
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