राहें तो बहुत-बहुत सी हैं,
पर सत्य का राह बहुत ही कठिन ।
अच्छे-अच्छे लोग भी फ़िसल जाते,
और देखने पड़ते हैं इसमे दुर्दिन ॥
सत्य के पथ पे चलने वालों को,
कांटे ही कांटे मिलते हैं ।
इस कलि-काल के ज़माने मे,
उन्हें मनषिक यातनायें भी मिलते हैं ॥
झूठे और मक्कारों के कारण,
उन्हें हर तरह से सताया जाता है ।
उनपे तरह-तरह के मन-गढ़ंत ,
आरोप लगाया जाता है ॥
सत्य की परीक्षा बहुत ही कठिन है,
जिसमे बिरले ही पास हो पाते हैं ।
पर इन सब मे जो हो जाते हैं पास,
तो फ़िर उसके दुश्मन भी दास बन जाते हैं ॥
सत्यमेव जयते तो उन्ही की,
जो ईमानदारी को गले लगाते हैं ।
पहले-पहले तो दुख आते हैं,
पर बाद मे वे सुख तो पाते हैं ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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२/४/२०१३,मंगलवार,पुणे महा.
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