Monday 19 February 2024

तुम होगी क्या ऐसी ही प्रिये

तुम होगी क्या, ऐसी ही प्रिये,
जैसा मैने सोचा है
होगी क्या, तुम वैसी ही,
जैसा दिल में, मैने देखा है

तुम कली, महकते फूलों की,
मुखड़ा तो, चाँद जैसा होगा
रूप तुम्हारा संगमर्मर,
अंदाज निराला, तो होगा

मुस्कान तुम्हारा, खिलता गुलाब,
हंसना तो, सितारों सा होगा
आंखें होंगी, मृगनयनी सी,
और जुल्फ, बहारों सा होगा

होठों का रंग, गुलाबी सा,
नाजुक सा, कलाई तो होगा
खन-खन चूड़ी, बातें करती,
जो धड़कन को, बढ़ाता तो होगा

कानों के झुमके, झिलमिल करते,
और रंग बदामी, सा होगा
पावों में पायल, की छन-छन,
और नाक में, नथिया तो होगा

राहों में नागिन, सी चलती,
परियों सा रूप, बदलती होगी
हर अदा, खुबसुरत होगा,
और फूलों सा, खिलती होगी

तुम होगी क्या, ऐसी ही प्रिये,
जैसा मैने सोचा है
होगी क्या, तुम वैसी ही,
जैसा दिल में, मैने देखा है


मोहन श्रीवास्तव (कवि)

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