Monday 19 February 2024

बनना है तो चन्दन सा बनों

बनना है तो, चन्दन सा बनों,

ना बनना, कुल्हाड़ी सा ।

बोलो तो सत्य व, मधुर बोलो,

ना असत्य कभी, वाणी का ॥



चन्दन को काटता, है कुल्हाड़ी,

पर चन्दन का उसे, खुशबू लगता ।

कुल्हाड़ी तो आग में, पीटा जाता,

पर चन्दन तो, मस्तक पे सजता ॥



बनना है तो, दीपक बनना,

जो खुद जल कर, प्रकाश को है देता ।

साथ करो, सज्जनों का सदा,

नहीं तो दुर्जन तो, दु:ख ही देगा ॥



किसी तरह का हिंसा,

ये धर्म नहीं, ये पाप है ।

पाप का सजा, मिलता है हमें,

पर करते हैं, और हम पाप हैं ॥



कभी दुसरों के, दुःख को,

उनको अपने, जैसा ही जानों ।

खुशी मिलेगा, इससे तुम्हें,

यह सत्य बचन, मेरा मानों ॥



अहंकार,अभिमान, को तज कर,

मन को अच्छे, कामों में लगावो ।

बद्दुआ नहीं लो, कभी किसी का,

दुआ सदा ही पावो ॥

बद्दुआ नहीं लो, कभी किसी का,

दुआ सदा ही पावो.......



मोहन श्रीवास्तव (कवि)

www.kavypushpanjali.blogspot.com

21-07-2013,sunday,11pm,

pune,maharashtra.

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