इस जहां से न्यारी हो,तुम मेरी दुलारी हो,
मै हूं किस्मत वाला, जो तुमको पाया है ।
हर अदा सुहाना है, कहता ये जमाना है,
देखो मैने तुमको, दिल में तो बसाया है ॥
इस जहां से न्यारी........
हर रूप मे तुम सुन्दर,इस जहां से हो हट कर,
बिधि ने लगता है तुम्हें, फुर्सत से बनाया है ।
तेरी अदा खुबसुरत, तुम हो कोई मूरत,
मैने तुम पर यारा, सब कुछ तो लुटाया है ॥
इस जहां से न्यारी........
मेरी श्वांस तुम ही हो, मेरी धड़कन भी तुम हो,
मैने जैसा सोचा था, तुम्हें वैसा ही पाया है ।
तुम हो कोई गुलशन, मै हूं तेरा माली,
तेरी खुशबू को हर पल, मैने मन में बसाया है ॥
इस जहां से न्यारी........
मेरी कविता तुम ही हो, तुम ही हो मेरी गजल,
तुमने तो हमें देखो, शायर जो बनाया है ।
तुम ही हो मेरी डगर, तुम्हें लगे ना किसी की नजर,
हर पल मैने तेरे लिये,पलकों को बिछाया है ॥
इस जहां से न्यारी हो,तुम मेरी दुलारी हो,
मै हूं किस्मत वाला, जो तुमको पाया है ।
हर अदा सुहाना है, कहता ये जमाना है,
देखो मैने तुमको, दिल में तो बसाया है ॥
इस जहां से न्यारी........
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
19-07-2013,friday.4am,
pune,maharashtra.
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