Monday 19 February 2024

हर रूप में तुम सुंदर

इस जहां से न्यारी हो,तुम मेरी दुलारी हो,

मै हूं किस्मत वाला, जो तुमको पाया है ।

हर अदा सुहाना है, कहता ये जमाना है,

देखो मैने तुमको, दिल में तो बसाया है ॥

इस जहां से न्यारी........



हर रूप मे तुम सुन्दर,इस जहां से हो हट कर,

बिधि ने लगता है तुम्हें, फुर्सत से बनाया है ।

तेरी अदा खुबसुरत, तुम हो कोई मूरत,

मैने तुम पर यारा, सब कुछ तो लुटाया है ॥

इस जहां से न्यारी........



मेरी श्वांस तुम ही हो, मेरी धड़कन भी तुम हो,

मैने जैसा सोचा था, तुम्हें वैसा ही पाया है ।

तुम हो कोई गुलशन, मै हूं तेरा माली,

तेरी खुशबू को हर पल, मैने मन में बसाया है ॥

इस जहां से न्यारी........



मेरी कविता तुम ही हो, तुम ही हो मेरी गजल,

तुमने तो हमें देखो, शायर जो बनाया है ।

तुम ही हो मेरी डगर, तुम्हें लगे ना किसी की नजर,

हर पल मैने तेरे लिये,पलकों को बिछाया है ॥



इस जहां से न्यारी हो,तुम मेरी दुलारी हो,

मै हूं किस्मत वाला, जो तुमको पाया है ।

हर अदा सुहाना है, कहता ये जमाना है,

देखो मैने तुमको, दिल में तो बसाया है ॥

इस जहां से न्यारी........



मोहन श्रीवास्तव (कवि)

www.kavyapushpanjali.blogspot.com

19-07-2013,friday.4am,

pune,maharashtra.





No comments: