आजादी की लड़ाई मे, जो रहे वीर,
वे सब सुंदर भारत का, सपना देखे थे ।
हर जगह होगा, राम-राज्य,
और उनके तो, सपने अनोखे थे ॥
सबको समानता का, होगा अधिकार,
और कहीं उंच-नीच का, भेद न हो ।
महिलाओं को मिले उचित स्थान,
और किसी भी तरह का द्वेष न हो ॥
स्वार्थ की राजनीति से हटकर,
देश की विकास की सब बात करें ।
लड़ना होगा कभी किसी को,
तो अपने देश के लिये लड़ें ॥
चोरी-बेइमानी नही होगा,
सब ईमानदारी को गले लगायेंगे ।
होली,दिवाली,बैसाखी,ईद,
सब मिल-जुल कर आगे मनायेंगे ॥
पर आज के भारत को देख-देख कर,
उनकी आत्मा तो रो रही है ।
आजाद भारत के सपने पर,
स्वार्थ की आरी चल रही है ॥
आजाद भारत के सपने पर,
स्वार्थ की आरी चल रही है.....
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
15-08-2013,thursday,5:30pm,
pune,m.h.(725)
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