ये प्यार है प्यार है, प्यार दोस्तों।
ये मिलता ना कभी भी, उधार दोस्तों ॥
प्यार की परिभाषा का, कोई अंत नही है ।
प्यार जैसा दुनिया मे, कोई मंत्र नही है ॥
प्यार की तो बोली से, भगवान मिल जाते ।
मुर्झाए चेहरे प्यार से, देखो हैं खिल जाते ॥
दुनिया के सभी रिश्तों मे, तो प्यार बड़ा है ।
जीवन के हरेक मोड़ पे, प्यार खड़ा है ॥
प्यार किसी भी चीज से, हो सकता है यारों ।
ईंषान,जानवर या फरिश्ता, कोइ यारों ॥
प्यार वह प्यार नही जहां, दौलत की बात हो ।
प्यार वो भी प्यार नही,जहां इकतरफा प्यार हो ॥
ऐसे ही प्यार मे तो, जोड़ों का प्यार है ।
पति-पत्नी,प्रेमी-प्रेमिका या, कोई और है ॥
जो इक-दुसरे के बिना, देखो रह नही पाते ।
प्यार के तो वास्ते, सभी छोड़ते नाते ॥
मिल-जुल के दोनो देखो, सपने सजाते हैं ।
इक-दुसरे के प्यार मे, वे खो से जाते हैं ॥
सुख-दुःख को आपस मे वे,प्यार से हैं बाटते ।
जीवन के दिन व रात को, मिल-जुल के काटते ॥
ना होंगे हम जुदा कभी, वे कसम खाते हैं ।
जीवन के हरेक गीत को, दोनो ही गाते हैं ॥
पर दुर्भाग्यवश दोनो जब, कभी दूर होते हैं ।
दिल तो रहता है पास पर, तन दूर होते हैं ॥
होता बहुत कठिन है, जीवन का बिताना ।
हसते हुए से बाग मे, आगों का लगाना ॥
दोनो ही तड़पते हैं, मिलने के लिये ।
जींदगी की राह मे, संग चलने के लिये ॥
मोहन की आरजू है, नही दूर जाइये ।
बिछुड़े हुए तो प्यार को, गले लगाइये ॥
ये प्यार है प्यार है, प्यार दोस्तों।
ये मिलता ना कभी भी, उधार दोस्तों ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
17-08-2013,saturday,2:30pm,(727),
pune,maharashtra.
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