Monday 19 February 2024

गज़ल ( आज की रात, खुशियों की रात है )

आज की रात, खुशियों की रात है,
हुश्न और इश्क, दोनों गले मिले रहे ।
उनके सपने तो ,आज सच हो रहे,
दोनो के दिल मे, फूल हैं खिल रहे ॥
आज की रात...

सेज दिल से दिल, पे सजाई हुई,
नर्म बाहों का ,तकिया है मिल गया ।
दिल की धड़कन, जैसे बातें कर रहे,
लट मुखड़े पे, घटा सा है आ गया ॥
आज की रात..,

खुश्बू तन से निकलती है, मदमस्त सी,
जिस्म हैं दो,पर जान तो एक हैं ।
हो रहा न जहां मे, न उनको खबर,
लग रहा, हो रहा,प्यार की भेंट है ॥
आज की रात...

रात ऐसी रहे ,सुबह हो ही नही,
हुश्न और इश्क, दोनों यही चाहते ।
हर वो लमहा उन्हे, दे रहा है खुशी,
जैसे धरती मिली, हो आकाश से ॥
आज की रात...

मिल रहे आज कैसे, ये दोनो दिल,
जैसे सागर संग ,कोई नदी मिल रही ।
हो रहा सावन-भादों, का ऐसा मिलन,
शाम को दिन से रात ,है मिल रही ॥
आज की रात....

आज की रात, खुशियों की रात है,
हुश्न और इश्क, दोनों गले मिले रहे ।
उनके सपने तो, आज सच हो रहे,
दोनो के दिल मे, फूल हैं खिल रहे ॥
आज की रात...

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
रचनांकन दिनांक-०३-०५-२०१३,शुक्रवार,

शाम ५ बजे,पुणे, महाराष्ट्र

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