Monday 19 February 2024

नसीब का खेल

ये तो दुनिया की, रीति है ऐसी,
कोई रोता है, कोई हसता है ।
कोई उड़ते हुए, बिमानों मे,
कोई पैदल जमीन, पे चलता है ॥
ये तो दुनिया......

कोई डोली मे, बन के दुल्हन तो,
कोई अपनी, चिता सजाती है ।
कोई जलती रहे, बिरह मे तो,
कोई पिया संग मे, रास रचाती है ॥
ये तो दुनिया.........

कोई रहते हैं, ऊंचे महलों में ,
तो किसी का, झोपड़ी ही प्यारा है ।
कोई रहते अमिरी, में हरदम,
पर किसी को, फकिरी प्यारा है ॥
ये तो दुनिया......

कोई भुखा ही, पेट सो जाये,
कोई रह के भी, खा नही पाता ।
कहीं आंसू भरा है, जीवन तो,
कहीं हंसता सा, आंख मिल जाता ॥
ये तो दुनिया.......

कोई दिन-रात, थक के काम करे,
कोई आराम की, नींद में सोए ।
कहीं हंसता हुआ, सा दिल तो मिले,
कोई दिल ही दिल, मे है रोए ॥
ये तो दुनिया..........

ये तो अपने, नसीब का खेला,
जो भी बिधि ने, लिखा वही होगा ।
इसमें कोई दोष, ना किसी का है,
अपने कर्मों का, फल मिला होगा ॥

ये तो दुनिया की, रीति है ऐसी,
कोई रोता है, कोई हसता है ।
कोई उड़ते हुए, बिमानों मे,
कोई पैदल जमीन, पे चलता है ॥
ये तो दुनिया......

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
11-02-2000,friday,7.05 pm,
chandrapur,maharashtra.


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