पहला बरसात है,
मेरे यारों,
दिल खुशी से तो, गाने लगा है ।
गर्मी की मार से, सब थे आहत,
देखो सबको ये, भाने लगा है ॥
पहला बरसात.....
बादलों की प्रबल, गर्जना संग,
मानों आकाश, धरती पे आया ।
वर्षा की बूंदों के, साथ मे ये,
मांग भरने, धरा की हो आया ॥
पहला बरसात......
हो रहे हैं मगन, पेड़-पौधे,
प्राणियों मे तो, जान आ गया है ।
संगम कर रहे, नदी,ताल-नाले,
जोड़ों पे तो, बहार आ गया है ॥
पहला बरसात.......
कलरव करते ये, बच्चों टोलियां,
बारिस का तो, मजा ले रहे हैं ।
गीत गाती हैं, दिल मे ये गोरियां,
और सब दिल से, दुआ दे रहे हैं ॥
पहल बरसात..........
बीजों से फुटेंगे, उनमे अंकुर,
धानी चुंदरी ,धरा ओढ़ लेगी ।
नया जीवन, मिलेगा कई को,
पर बसुधा तो, अनमोल होगी ॥
पहला बरसात..........
दादुरों की, किलकारियों से,
हर जगह शोर, तो उठ रहा है ।
गिर रहे ये ,बारिस की बूंदें,
पर ये बिरहन के, दिल मे चुभ रहा है ॥
पहला बरसात, है मेरे यारों,
दिल खुशी से तो, गाने लगा है ।
गर्मी की मार से, सब थे आहत,
देखो सबको, ये भाने लगा है ॥
पहला बरसात.....
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
03-6-2013,7
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