धन्य-धन्य है, हमारी सेना,
जो धैर्यता का, परिचय देती है ।
अपने प्राणों की, बाजी लगा,
ये हमे सुरक्षा देता है ॥
ये लाल किसी, माता के हैं,
तो लाज किसी, बहना के हैं ।
किसी मांग के, सिन्दूर हैं ये,
और भारत माँ, का गहना हैं ॥
जान हथेली पर, रख कर ये,
दुश्मनों से खुब, लड़ा करते ।
सीमा पर या हो, देश के अन्दर,
ये हर जगह हमारी, रक्षा करते ॥
नाज हमें है, इन पर,
ये शान से, तिरंगा लहराते हैं ।
दुश्मनों के सीने में,
ये खुब गोलियां, बरसाते हैं ॥
इनके अदम्य साहस, व पराक्रम को,
कोटि-कोटि है, नमन अपना ।
इनके ही कारण, हम सब जो,
देखा करते हैं, सुनहरा सपना ॥
इनके ही कारण, हम सब जो,
देखा करते हैं, सुनहरा सपना......
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
08-08-2013,thursday,11am,(713)
pune.M.H.
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