कर लूं दीदार, जी भर के मै आपका,
बैठी रहिए, कहीं भी नही जाइए ।
आ गया आप पे है, ये मेरा दिल,
ऐसी रहिए, नही हमसे शर्माइए ॥
कर लूं दीदार.........
मुखड़ा तो चाँद से, कम नही आपका,
गाल तो गुलाबी, लिए आपकी ।
जुल्फ तो है कोई, काली घटा,
भौहें तो हैं दुईज, की चाँद सी ॥
कर लूं दीदार.........
रूप संगमर्मर, सा है आपका,
रंग बदामी जैसे हो, लिये आपकी ।
खुबसुरत है हर, अदा आपकी,
मन चुराती हुई, हर छटा आपकी ॥
कर लूं दीदार.........
आपके रूप से, छा गया है नशा,
मै तो मदहोश सा तो, हुआ जा रहा ।
आप कोई गगन की, परी तो नही,
न जाने मुझे क्या, हुआ जा रहा ॥
कर लूं दीदार, जी भर के मै आपका,
बैठी रहिए कहीं, भी नही जाइए ।
आ गया आप पे है, ये मेरा दिल,
ऐसी रहिए, नही हमसे शर्माइए ॥
कर लूं दीदार.........
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
07-07-2013,sunday,4
pm,
pune,maharashtra
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