छाता-छाता, प्यारा छाता ।
बादल देख के, ये मुस्काता ॥
काला,गुलाबी,पिला छाता ।
हरा,बैगनी,नीला छाता ॥
कई रंग में, मिलता छाता ।
सतरंगी, चमकिला छाता ॥
बारिस से ये, हमे बचाता ।
देखो हमारा ये, प्यारा छाता ॥
ये है हमारा, प्यारा साथी ।
इसकी याद, बारिस में आती ॥
छाता-छाता, प्यारा छाता ।
बादल देख के, ये मुस्काता ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
01-08-2013,thursday,4am,
pune,maharashtra.
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