पापा मेरे पापा, मेरे प्यारे-प्यार पापा.........२
दफ्तर से तुम, जल्दी आना,
पापा अपने, परिवार में ।
मम्मी के संग, रहेंगे हम सब,
आप के, ईंतजार में ॥
पापा मेरे पापा......
कहीं घुमने चलेंगे, हम सब,
पापा सब कोई, साथ में ।
झुमेंगे-नाचेंगे, खुशियां मनायेंगे,
आज की हम, रात मे ॥
पापा मेरे पापा......
सैर सपाटा करेंगे, हम सब,
हरे-भरे, मैदानों में ।
खा-पी करके, मौज करेंगे,
इस नई सदी के, जमाने में ॥
पापा मेरे पापा......
रंग-बिरंगे, फैशन के,
मेले में हम, जायेंगे ।
उस मेले में ,घुम-घूम कर के,
ढेरों खुशिया, मनायेंगे ॥
पापा मेरे पापा......
नई जगह की, सैर करेंगे,
फिर घर में, वापस आयेंगे ।
गुड नाइट मम्मी, को बोलके,
फिर बिस्तर पे, सो जायेंगे ॥
पापा मेरे पापा......
नीद में हम, सपना देखेंगे,
अपनें देखे हुए, स्थानों की ।
सपनें में हम, सैर करेंगे,
चमकते, चाँद-सितारों की ॥
पापा मेरे पापा......
आना पापा, जल्दी दफ्तर से,
वर्ना हम, रूठ जायेंगे ।
दिल टूटेगा, मम्मी का भी,
फिर मम्मी को, आप मनायेंगे ॥
पापा मेरे पापा......
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
27-02-2000,sunday,5.45pm,
chandrapur,maharashtra.
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