आगे बढ़ने वाले हमारे कदम ,
अब पिछे मुड़ के नही देखेंगे !
अग्नि -पर्वत -आंधी-पानी ,
ये हमे नही अब रोकेंगे !!
माथा ऊंचा रहेगा सदा ,
और गर्व से सीना फ़ुला होगा !
आंखों से शोले बरसते होंगे ,
और दिल तो सदा ही खुला होगा !!
हमे गुरू जगत वाले कहते ,
पर हमें गुरुता का अभिमान नही !
अपमान नही किसी का करते हम ,
और चाहिए हमे सम्मान सही !!
अन्याय पसंद नही है हमे ,
हम न्याय पे चलते जाएंगे !
हम शेरे दिल हैं भारत के ,
हम वतन के लिए शीश कटाएंगे !!
अहिंसा हमे प्यारा है ,
और हम हिंसा से नफ़रत करते हैं !
गुलामी पसंद नही है हमे ,
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-२७/०३/२००० ,सोमवार शाम - ७.३० बजे
चंद्रपुर (महाराष्ट्र)
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