Thursday 23 May 2013

वे खिलाड़ी नही खेल के दुश्मन हैं

वे खिलाड़ी नही खेल के दुश्मन हैं,
जो मैच फ़ेक्सिंग कर पैसा कमाते हैं
वे यार नही गद्दार हैं वो ,
जो खेल प्रेमियों को आहत कर  जाते हैं॥

हमारे विश्वाश को तोड़ा है उन सबने,
जो मैच फ़िक्सिंग कर जाते हैं
अब शंकित हृदय कहता है शायद ,
मैच के पहले ही परिणाम बन जाते हैं

मैच फ़िक्सिंग का यह गोरखधंधा,
शायद और भी खेलों मे होता होगा
जहां पैसों के लालच मे कोई खिलाड़ी,
अपने ईमान को बेचता होगा

ऐसे हार - जीत के सौदागरों का,
चुन -चुन कर पहचान किया जाये
जिसे देख -देख करऔरों के दिल भी कांप उठे,
उन्हें ऐसी कठोर सजाएं दिया जाए

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
//२०००
रविवार ,चंद्रपुर महा.




6 comments:

Jyoti khare said...

खेल की सच्चाई
सटीक और बेवाक रचना
बधाई

आग्रह हैं पढ़े
ओ मेरी सुबह--

Ranjana verma said...

सार्थक प्रस्तुति!! मेरा पोस्ट ' देश की आवाज बन सकते हैं हम'भी पढ़े.

Unknown said...

सभ्य लोगों का खेल कहे जाने वाले किक्रट में असभ्यता ने पैर पसार लिएं हैं ।
कविता के लिए आभार

Mohan Srivastav poet said...

jyoti khare ji,

aapka aabhar.

Mohan Srivastav poet said...

ranjana verma ji,

aapka dil se aabhar

Mohan Srivastav poet said...

aapka bahut abhar savan kumar ji.