Thursday 18 July 2013

मिड डे मील का भी यही हाल


सरकारी योजनायें, होते हैं अच्छे,
जिससे लोगों को लाभ, पहुंचाए जाते
इन्हीं योजनावों मे, एक मिड डे मील,
जहां स्कूली बच्चों को, आहार खिलाए जाते

आमतौर पर, सरकारी योजनावों मे,
भ्रष्टाचार का साया, तो रहता ही है
बहुतों की कमाई, होती है इनसे,
पर बहुतों को, लाभ मिलता भी है

मध्याह्न भोजन, का भी यही हाल,
जहां आहार की, गुणवत्ता ठीक नही
अफसर शाही की, मिली भगत से,
घटिया चीजें जो, मिल  है रही

मिड डे मील मैनेजर, नही होने से,
इससे शिक्षकों पे, दबाव है बढ़ जाता
वे एक शिक्षक की, भुमिका मे दिखते हैं कम,
पर उन पर मेस मैनेजर का, रंग है चढ़ जाता

यदि सही, व्यवस्था नही हुई,
तो ऐसे ही हमारे, बच्चे मरते रहेंगे
गुनाहगारों के, अपराधों की सजा,
हम हर दिन, ऐसे ही सहते रहेंगे

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
17-07-2013,wednesday,10 pm,

pune.maharashtra.

9 comments:

Unknown said...

You are right,Mohanji,
Vinnie,

Mohan Srivastav poet said...

विन्नी पन्डित जी,
आप का दिल से आभार

Ranjana verma said...

आपने बिल्कुल सच कहा मिड डे मिल सिर्फ लुटने का धंधा है ... अनाज ही देना है पेरेंट्स को दो ....

Mohan Srivastav poet said...

रंजना जी,
आप की बातों से पुरी तरह से सहमत हुं.
धन्यवाद

Pravin Dubey said...

satya vachan..

Pravin Dubey said...

satya vachan..

Mohan Srivastav poet said...

pravin dubey ji.
aapka aabhar

Unknown said...

sahi ghatana ka prastutikaran. aabhar

Mohan Srivastav poet said...

भरद्वाज जी,
आपका आभार....