Friday 12 July 2013

हा-हा कार मचा है उत्तराखण्ड में


हा-हा कार मचा है उत्तराखण्ड में,
जहां कुदरत ने कहर बरसाया है
कई जानों की कुर्बानी लेकर,
जहां कई बिमारियों को फैलाया है

घंटों चला वहां मौत का ताण्डव,
जिसमे घर के घर लहरों मे समाते गये
जो बचे खुचे  थे लहरों से,
वे भुख से बेचारे मारे गये

वहां के दर्द नाक दृश्य़ों को देख-देख कर,
पत्थर सा कलेजा भी कांप उठता
अनायास आंसू निकल जाते और,
करुणा दिल मे है भर उठता

जो अपना सब कुछ लुटा कर के,
किस्मत से बच हैं गए
उन्हें बिमारियों को आने का भय है,
और खाने का डर है सताए हुए

उनके घावों को भरने के लिये,
हमे प्यार का मरहम लगाने होंगे
जिस तरह से उनके दुःख कम हों,
हमे वही काम करने होंगे

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
12-07-2013,friday,

pune,maharashtra.

4 comments:

Ranjana verma said...

सही कहा उनकी मदद करने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा ..

Mohan Srivastav poet said...

ranjana ji,

aise nek kary me ham sab ko madad karane ka sankalp lena hoga,aapka sadar aabhar,

Unknown said...

हाथ में दवाएं हैं, होठों पे दुआएं हैं । पूरे हिन्दुस्तान के .......... आभार
एक अच्छी कविता के लिए ।

Mohan Srivastav poet said...

सावन कुमार जी,
आप का दिल से आभार