हे गणपति बप्पा मोरया,
पर्वती सुत मोरया,
तुम्हे पुकारें कब से हम सब,
क्या हो तुम प्रभु सो रहे...
हे गणपति बप्पा......
आज तुम्हारे भक्त जनों पे, आई विपदा भारी।
कहां छुपे हो स्वामी मेरे, दीनों के हितकारी ॥
संकट से प्रभु तुम हमे उबारो.....
अंसुअन से चरण हम धो रहे...
हे गणपति बप्पा ............
पिता तुम्हारे महादेव व, माता तुम्हारी पार्वती ।
मंगल गीत गा रहे तुम्हारे, और उतारे आरती ॥
विनती हमारी प्रभु जी सुन लो...
हम कब से तुम्हें पुकार रहे...
हे गणपति बप्पा.............
पूजा जो तुम्हारी हैं करते, उनके संकट तुम काटते हो ।
यदि दिल से पुकारे तुम्हे कोई,उनकी तुम लाज बचाते हो ॥
आशिष चाहते हैं हम सब...
हम बाट तुम्हारी जोह रहे....
हे गणपति बप्पा मोरया,
पर्वती सुत मोरया,
तुम्हे पुकारें कब से हम सब,
क्या हो तुम प्रभु सो रहे...
हे गणपति बप्पा......
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
chandrapur,maharashtra.
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