ये युद्ध नही तो और क्या है,
वे वेष बदल-बदल कर हमको मार रहे ।
हम शांति का पहाड़ा रट करके,
उनकी आरती उतार रहे हैं ॥
आतंकवादियों के माध्यम से,
वे हमपे हमले कर रहे हैं ।
और हम शांति वार्ता की बातें कर,
आतंकवाद की आग मे जल रहे हैं ॥
आज सारा भारत ही,
उनके कुकृत्यों से परेशान है ।
हम दुश्मन हैं सदा से उनके,
और हम समझते कि दोस्त हमारा पाकिस्तान है ॥
अब बहुत सह लिया हम सबने,
अब और अधिक बर्दास्त नहीं ।
उनसे सारे रिश्ते बंद करो,
ये देश की अब है मांग यही ॥
अंग फड़क रहे हैं हमारे,
दुश्मन के शीश काटने को ।
मजबूर कर देंगे हम उनको,
जीवन का भीख मांगने को ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
27-09-2013,friday,8.15
a.m,(758)
pune,maharashtra
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