Friday 21 October 2011

चमचागिरी

चमचागिरी भी एक अनोखी कला है,
जिससे आदमी धनहीन से धनवान बन जाता है !
जी हजूरी करते-करते,
वह कोच से कोचवान बन जाता है !!

चमचागिरी का बाजार गर्म है,
शहर मे हो या देहातो में !
निजी-सरकारी महकमा हो,
या सत्ता के गलियारो में !!

किसी भी पार्टी की टिकट चाहिए,
तो चमचागिरी पहले करो !
मंत्री का पद पाने के लिए,
प्रधान मंत्री की खुशामद खुब करो !!

पदोन्नति चाहिए नौकरी मे तो,
अपने साहब की चापलूसी पहले करो !
घर मे कुछ पैसे चाहिए तो,
पत्नी की सिफ़ारिस दिल से करो !!

जो चीज हासिल हो मेहनत से,
कभी-कभी वह चमचागिरी करने से मिल जाता !
पर नफ़रत है मिलती चमचों को,
जिससे उनका सर शर्म से झुक जाता !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-०६/०२/२०००,वुद्धवार, रात-११.४० बजे,

चंद्रपुर (महाराष्ट्र)

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