हस-हस के तुम जिवो मेरे यार,रो-रो के जीना नही !
खुश हो करके काम करो सब ,डर-डर के रहना नही !!
अपने से जैसा हो सके यारों,सबका करो उपकार !
चाहे कोई जैसे भी हो सब ,उनसे करो तुम प्यार !!
अपनी मेहनत और लगन से ,अपने करो तुम काम !
चाहे कितनी बाधा आए,आधी या तुफ़ान !!
सपने सजाए होंगे तुम अपने,उन्हे तुम पुरा करो !
आलस और अभिमान को अपने,मन से दूर करो !!
जीवन है थोड़ा, काम है जादा,वक्त गुजरता जाए !
तुम पर टिकी है निगाहें सभी की,और बड़ी आशाएं !!
हस -हस के तुम जीवो मेरे यार, रो-रो के जीना नही !
खुश हो के काम करो सब,डर-डर के रहना नही !!...
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
दिनांक-१७/७/१९९१ ,वुद्धवार , सुबह ८.५५ बजे,
एन.टी.पी.सी.दादरी .गाजियाबाद (उ.प्र.)
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