भर दे -भर दे, तू खाली झोली ,अपनी अम्बे मां !!
कर दे-कर दे तू उपकार............
हम अति दीन -दुखी है मैया मेरी,दे दो हमे सहारा !
डूब रही है नइया अपनी, दे दो इसे किनारा !!
कर दे-कर दे तू उपकार.........
कितने दिनो से नयना मेरे, दर्शन को तेरे प्यासे !
दरश नही मिलता है क्युं मां,क्या हम इतने अभागे !!
कर दे-कर दे तू उपकार............
ऊंचे गुफ़ावों वाली मइया ,वो मा शेरा वाली !
लक्ष्मी,दुर्गा,पार्वती तू,सीता कृष्णा काली !!
कर दे- कर दे तू उपकार.............
तुझपे जो मा आशा रखते,निराश न होने देती !
उन्हे मन चाहा वर देकर मा,आंचल मे ढक लेती !!
कर दे-कर दे तू उपकार,हमपे अम्बे मां !
भर दे-भर दे तू खाली झोली,अपनी अम्बे मां !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
२७/५/१९९९,रात्रि ११ बजे,
चन्द्रपुर महा.
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