Saturday 8 June 2013

बरसो मेघा खुब जोर-जोर

ये उमड़-घुमड़ हैं रहे बादल,


लगता है बारिस आयेगी ।

सब खुश होते इन्हें देख,

लगता है गर्मी जायेगी ॥



आकाश में इनका आना-जाना,

बारिस आने की आहट है ।

हर जीव के मन मे है खुशियां,

और सब को पानी की चाहत है ॥



बरसो मेघा खुब जोर-जोर,

धरती को पानी से तर कर दो ।

पानी के बिन जो तड़प रहे,

उनके मन पानी से भर दो ॥



अच्छी वर्षा के होने से,

किसान करेंगे अपनी खेती ।

फसल लहलहायेंगे खेतों मे,

और हरी-भरी होगी धरती ॥



आश लगाये हैं सब तुम्हे देख,

कितनों के मन मे सुनहरे सपने हैं ।

बरसो मेघा अब तो बरसो,

तुम बिन तो सभी तड़पते हैं ॥



ये उमड़-घुमड़ हैं रहे बादल,

लगता है बारिस आयेगी ।

सब खुश होते इन्हें देख,

लगता है गर्मी जायेगी ॥



मोहन श्रीवास्तव (कवि)

दिनांक-३०-०५-२०१३,बृहस्पतिवार,

रात्रि ९ बजे,पुणे,महाराष्ट्र

www.kavyapushpanjali.blogspot.com

4 comments:

Unknown said...

शब्द शक्ति से मौसम का आभास कराती उम्दा प्रस्तुति...बधाई

कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान said...

achcha geet hai

Mohan Srivastav poet said...

कौशलेन्द्र सिंह जी,
आप का दिल से आभार

Mohan Srivastav poet said...

कमलेश कुमार दीवान जी,

आपने अपना बहुमुल्य समय देकर मुझे प्रोत्साहित किया,इसके लिये हम आप के आभारी हैं,
धन्यवाद