अब स्कूलों से शुरू हो जाता है !
जहां डोनेशन के माध्यम से,
रुपया कमाया जाता है !!
निः स्वार्थ भाव से पहले,
स्कूल बनाए जाते थे !
बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो,
इस लिए पढ़ाए जाते थे !!
पर आज शिक्षा एक व्यवसाय हो गया है,
जहा पैसे ही कमाना मकशद है !
जहा तरह-तरह के स्कूल फ़ीस,
व ट्युशन करने की आदत है !!
दाखिला लेने के पहले,
बच्चो के प्रोग्रेस रिपोर्ट पर ध्यान नही जाते !
वे पैसे कितना दे सकते है,
उनकी पाकेट पर नज़र रखे जाते !!
पर कुछ-कुछ स्कूल अभी भी है,
जो डोनेशन से कोसों दूर है!
व कई योग्य शिक्षको को ,
अपने शिक्षक होने पे गुरुर है !!
भ्रष्टाचार के ऐसे स्कूलों पर,
जल्द ही रोक लगाना होगा!
नही कल के हर भारत वासी पे,
भ्रष्टाचार का सेहरा बंधा होगा !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-०२/०७/२००४ , शुक्रवार,शाम- ०४.०५ बजे ,
राप्तीसागर
एक्स्प्रेस, वारंगल-विजयवाडा
रे. स्टे. के बीच
मे
No comments:
Post a Comment