"नववर्ष अपना चैत्र मास में ही मनाओ"
परंपराओं रीति-रिवाजों को निभाओ।
संस्कार भारती को कभी भी न भुलाओ।।
परंपरा व रीति-रिवाजों को निभाओ.....
पश्चिम की सभ्यता का अब छोड़ अनुकरण।
पूरब की संस्कृति को दिल में है बसाओ।।
परंपराओं रीति-रिवाजों को निभाओ.....
परिवार साथ मंदिरों में जाइए सभी।
परोपकार करके दिल से हर्ष लुटाओ।।
परंपराओं रीति-रिवाजों को निभाओ.....
माथे पे रक्त चंदन मौली कलाई में।
गीता रामायण वेद पढ़ो और पढ़ाओ।।
परंपराओं रीति-रिवाजों को निभाओ....
शास्त्र के भी साथ में ही शस्त्र जरूरी।
दुष्टों व देशद्रोहियों को और दूर भगाओ।।
परंपराओं रीति-रिवाजों को निभाओ.....
जात पात भूल के सनातनी हो एक।
केसरी ध्वजा को साथ मिलके उठाओ।।
परंपराओं रीति-रिवाजों को निभाओ.....
बच्चों को सनातन का संस्कार सिखाओ।
देश के भक्तों का इतिहास बताओ।।
परंपराओं रीति-रिवाजों को निभाओ.....
बेटे व बेटियों में ना कोई भेद हो।
शिक्षा के साथ-साथ राष्ट्रप्रेम बढ़ाओ।।
परंपराओं रीति-रिवाजों को निभाना.....
हर तीज व त्योहार में सब कोई साथ हो।
नववर्ष अपना चैत्र मास में ही मनाओ।।
नववर्ष अपना चैत्र मास में ही मनाओ।।
परंपराओं रीति-रिवाजों को निभाओ।
संस्कार भारती को कभी भी न भुलाओ।।
परंपराओं रीति-रिवाजों को निभाओ.....
कवि मोहन श्रीवास्तव
1 comment:
बहुत सुंदर प्रस्तुति मेरे स्वामी
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