Tuesday, 18 April 2023

"श्री हनुमत ताण्डव स्तोत्र"(भावानुवाद)छन्द : पञ्चचामर

"श्री हनुमत ताण्डव स्तोत्र"(भावानुवाद)

छन्द : पञ्चचामर


करूँ कपीश वंदना हिया ले शुद्ध भावना,

सदा करूँ गुणानुवाद कूच सिन्धु जो करें।

विशालभानु भक्षते व भक्तप्राण रक्षते, 

महान् रामदूत से कराल काल भी डरे।।१।।


पिता समीर मातु अंजनी गुरू दिनेश हैं,

गदा विशाल वामहस्त राम नाम जापते।

सदैव रामभक्त पे कृपालु हैं उदार हैं,

मलीन दुष्ट भूत प्रेत म्लेक्ष देख कांँपते।।२।। 


सुहाग रेणु अंग अंग अस्त्र शस्त्र से सजे,

विराट रामदूत रूप देख दुष्ट दंग है।

विशाल पुच्छगुच्छ स्वर्णतुल्य हाथ में गदा,

सदैव रामकाज हेतु वक्ष में उमंग है।।३।। 


सुकर्म भक्त याचना करें सुसिद्ध कामना,

प्रभो अभक्तकाज में प्रघोर विघ्न डालते।

समस्त कार्यसिद्धकार पूज्य हैं प्रणम्य हैं,

सदैव रामभक्त प्राण के समान पालते।।४।। 


जनित्व काँध सोहते प्रचण्ड दैत्य को हते,

बना कनिष्ठ दीर्घ रूप दैत्य सन्त तारते।

बलिष्ठ कांतियुक्त मुक्त तीनलोक नापते,

विलोक श्रेष्ठ भक्ति भाव राम जी पुकारते।।५।। 


किरीट माथ हाथ में ध्वजा विशाल गेरुवा,

लंगोट लाल दिव्यभाल भक्ति भावना पगे।

पहाड़ दीर्घ हाथ में मुखारविन्द लोभते, 

शरीर तेजपूर्ण दिव्य भव्य रूप शोभते।।६।। 


कपीश अग्रदूत  रामयूथ हैं महाबली,

फणीशनाथ रामभ्रात के सदा मनोग्य हैं।

विराट सूर्य के समान तेजपुंज रूप है,

दिखाय रत्नवृत्त को कहें सदा अयोग्य है।।७।। 


विदेहजाति शोक तापनाश आपने किया, 

प्रहार हेतु पुष्ट दुष्ट काल रूप धार के।

कनिष्ठ रूप आप हैं विराट रूप भी प्रभो,

सदैव भक्त की पुकार क्रोध मोह जार के।।८।। 


पहाड़ वृक्ष आदि पे लिखे पवित्र राम को,

रचे विशाल रामसेतु सैन्य को उतारने।

प्रघोर घोर अट्टहास रौद्र रूप काल से,

अभेद्यदुर्ग लंक खण्ड खण्ड में विदारने।।९।। 


मिला कपींद्र राम से करा बहोर कामिनी,

विशाल पूंछ से अभेद्य लंक आप जारते।

प्रघोर  मुष्टिका दिखा दशाननादि ताड़ते,

लपेटि पूंछ में अनेक यातुधान मारते।।१०।।


दयालु आञ्जनेय धान्य वैभवादि दे दिये,

सप्रेम नेम वायुपुत्र पाठ नित्य जो पढ़े।

समस्त रोग दोष आदि नष्ट हो सुखी रहें,

अपार शक्ति प्राप्त हो समाजकीर्ति भी बढ़े।।११।।


कवि मोहन श्रीवास्तव

महुदा पाटन दुर्ग

29.1.2023

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