Tuesday, 4 April 2023

"मंदारमाला सवैया"(वर्णिक)(वनवास जाते समय श्री राम जी से सीता जी का वन जाने के लिए विनती करना)

"मंदारमाला सवैया"(वर्णिक)

(वनवास जाते समय श्री राम जी से सीता जी का वन जाने के लिए विनती करना) 

हे नाथ कांतार मैं भी चलूँगी, बिना आप कोई सहारा नहीं ।
मैं आपकी संगिनी नेह प्यासी, बिना आप कोई हमारा नहीं ।।
स्वामी बिना भामिनी है अधूरी, पिया के सरीखा अधारा  नहीं ।
आमोद सारे मुझे दाह देंगे, बिना आपके तो गुजारा नहीं ।।1।। 

आभूषणों से नहीं मोह कोई, मुझे नेह नाते सुहाते नहीं ।
छाया बनूँगी जहाँ धूप होगी , हमें राजसी भोग भाते नहीं ।।
देखा करूंगी पिया पाँव जोड़े, जिसे देख नैना अघाते नहीं ।
पानी बिना नाथ सूखी नदी सी, पिया के बिना नेह नाते नहीं ।। 

मोहन श्रीवास्तव

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