Tuesday 4 October 2011

हड़ताल-जलूस का देश हो गया

हड़ताल -जलूस का देश हो गया,
यह भारत देश हमारा !
जहां हाथों मे बैनर-तख्ती लेकर,
वे देते कई तरह का नारा !!

हमारी मांगे पूरी करो,
हमारा नेता अमर रहे !
रंग-बिरंगे नारे देकर,
सब जन अपनी बातें कहें !!

गांवो से लेकर संसद तक,
इसका हर रोज ही दर्शन होता है !
पर कुछ बे-वजह हड़तालों से,
एक आम आदमी का दिल रोता है !!

हड़ताल- जलूस अब फ़ैशन हो गया,
अब तेजी से बदलते भारत मे !
जहां नेतावों की कमी नही,
ऐसे मे अपने को हिरो बनाने मे  !!

प्यार की भाषा वे सुनते नही,
इसलिए हड़ताल करना मज़बूरी है !
शक्ति प्रदर्शन करने के लिए,
जलूस निकालना  भी जरूरी है !!


मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
रचना कि तारीख--, १२/१२/२०००,मंगलवार  ,सुबह  -११.१० बजे
चंद्रपुर (महाराष्ट्र)


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