Thursday 6 October 2011

जब दो बिछुड़े दिल मिल जाते है

जब दो बिछुड़े दिल ,मिल जाते हैं,
आंखो मे बहार, जाता है !
अब तक जो सहे, जुदाई के गम ,
वह याद नही, रह पाता है !!

दिन-रात तड़पते, रहते थे,
आंखो की नींद, तो गायब थी !
करवटें बदलते, रहते थे,
होठों पे हंसी, तो शायद थी !!

वे दिन याद, नही आते,
जब दिलों का ,संगम होता है !
बाहों मे प्यार के, आलिंगन से,
वहां बस खुशियों का, आंसू होता है !!

जीवन के अंधेरे के, वे दिन,
पल भर मे उजाले, कर देते !
रह-रह के जो, होते थे अपशकुन,
अब वो शगुन के, प्याले भर देते !!

जुदाई की, काली घटावों से,
अब प्यार की, बूंदे बरसते हैं !
अब तक के, रोते हुए गुलशन मे,
बस प्यार के, फ़ूल ही खिलते हैं !!

जब दो बिछुड़े दिल ,मिल जाते हैं,
आंखो मे बहार जाता है !
अब तक जो सहेजुदाई के गम ,
वह याद नहीरह पाता है !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक०१/०३/२००१,बॄहस्पतिवार,सुबह - बजे,
केरला एक्स्प्रेस,सेलम से बल्लारशा जं.




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