Tuesday 29 November 2011

गजल(ये मेरा दिल बहुत ही रोता है)


ये मेरा दिल बहुत ही रोता है,आखो मे आसु भी नही मेरे!
हमने जैसा भी पहले सोचा था,वो तो पुरे हुए नही मेरे!!
ये मेरा दिल..............
ये बदनसिबी का आलम,देखे कैसे और कब तक चलता ह!
मैने बोला बहुत ,मिला उनसे,पर मेरी बात कौन सुनता है!!
ये मेरा दिल................
हमसे जो भी हुआ है अपने से,मैने हर का भलाई सोचा है!
पर मुझे ईनाम मिलता दुखो का,मेरा दिल इस लिए ही रोता है!!
ये मेरा दिल................
हर जगह मै सभल के चलता हु, पर मुझे ठोकरे मिला करता!
जितना मै सबसे प्यार से बोलू, लोग सोचते कि ये डरा करता!!
ये मेरा दिल...............
इस जमाने की कडवी बोली मे, मैने कई बार बोलना चाहा!
पर मेरी आत्मा ने धिक्कारा , जब कभी मै भी बोलना चाहा!!
ये मेरा दिल बहुत ही रोता है......................
मै किसे दोष दू, कहू किसको, जिससे सारा जमाना रुठा है!
मै तो इक ऐसा पेड़ हु यारो,जो कि लगता हरा, पर सूखा है!!
ये मेरा दिल बहुत ही रोता.......................

मोहन श्रीवास्तव
दिनांक- १/१२/१९९१ , रविवार, शाम ,६.२० बजे,
पार्क ,चन्द्रपुर (महाराष्ट्र)

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