Wednesday 31 July 2013

आधुनिक युग का भगवान है गूगल



भगवान की सत्ता, सदा से ही रही,
और सृष्टि अंत तक, रहेगी भी
पर आधुनिक युग का, भगवान है गूगल,
इतिहास सदा, ये कहेगा भी

ब्रह्माण्ड या हो, ये दुनिया,
आज सब हमारी, मुठ्ठी में है
किसी भी तरह की, जानकारी,
ये सब हमारी, चुटकी में है

गूगल के माध्यम, से मित्रों,
आज हम सब, पास रहे हैं
कभी जान नही,पहचान नहीं,
अपने दुःख,सुख को, बांट रहे हैं

अथाह ग्यान का, सागर गूगल,
जो हम ग्यान, जो चाहे,ये देता है
हर मुश्किल को, आसान बनाता,
ये हम सब की, नाव को खेता है

भुत,वर्तमान,भविष्य को भी,
गूगल बाबा, हमें बताते हैं
सागर,पृथ्वी,आकाश जंगल,
ये हमें सब जगह की, सैर कराते हैं

नेटवर्क तो कई, तरह के हैं,
पर गूगल तो, सबसे निराला है



सबका अपना, अलग-अलग पहचान,
पर गूगल तो, दिल वाला है

जिसने भी बनाया गूगल को,
उस महापुरुष को, शत-शत है नमन
गूगल टीम को भी है, शत-शत नमन,
जो लगे हुए हैं, इसमें हर पल
जो लगे हुए हैं, इसमें हर पल.........

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
31-07-2013,wednesday,4am,

pune,maharashtra. 

4 comments:

Anila patel said...

Dhanyvad. Bahut achchhi rachana hai.

Anila patel said...

Dhanyvad. Bahut achchhi rachana hai.

Mohan Srivastav poet said...

Sriram Roy ji,
thanks

Mohan Srivastav poet said...

अनिला पटेल जी,
आपका दिल से आभार.....